What I feared happened! There is a huge jump in the price of mustard oil again, the price has increased so much in a week..:कोरोना वायरस महामारी के कारण पहले भी तैल महंगे हो चुके हैं. बमुश्किल दाम ठीकठाक हुए थे कि अब रूस यूक्रेन वार आ गया जिसके कारण खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि हुई है. कारोबारियों के अनुसार सूरजमुखी तैल के सबसे बडे उत्पादक रूस और यूक्रेन ही हैं. वार के कारण सप्लाई चैन प्रभावित हुई है. यूक्रेन से आयात बुरी तरह प्रभावित हो गया है. इधर कच्चा तेल महंगा होने से माल ढुलाई महंगी हो गई है.
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर अब भारत के आम लोगों के जेब के बजट पर दिखने लगा है। आपको बता दे की इस युद्ध के कारण खाद्य तेलों की कीमतों में एक बार फिर जबरदस्त तेजी आई है। एक सप्ताह भीतर फुटकर व थोक में तेल के भाव प्रति लीटर 135 से 155 रुपये तक पहुंच चुके हैं। आगे भी कीमत बढ़ने के आसार हैं। चलिए डिटेल में जानते हैं।
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, जो सोयाबीन तेल 15-20 फरवरी के बीच 135 से 140 रुपये प्रति लीटर थोक के भाव बिक रहा था, आज उसमें 15 से 20 रुपये तक का उछाल है। वही सरसों तेल की दामों में भी 5 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। वर्तमान में सर्वाधिक कीमतें सोयाबीन रिफाइंड व पाम आयल की बढ़ी है। दामों में बढ़ोतरी का साफ तर्क है कि बाहर के देशों से तेल का आयात होना बंद हो गया। इसी तरह सोयाबड़ी की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। 20 किलो की बोरी शुक्रवार को 1860 रुपये में बिकी। जो सप्ताह भर पहले 1620 रुपये में बिक रहा था।
थोक व्यापारियों की मानें तो, इस बार लंबे समय से तेल की कीमतें लगभग स्थिर बनी हुई थी। शादी का सीजन होने के बावजूद सोयाबीन तेल के भाव थोक बाजार में 130 से 140 रुपये प्रति लीटर ही बने हुए थे। फरवरी महीने के पहले सप्ताह से ही भाव बढ़ना शुरू हुआ, जो लगातार जारी है। उनका कहना ये भी है कि यूक्रेन संकट ने बाजार को ज्यादा प्रभावित किया है। यहीं कारण है कि पाम आयल भी महंगा है अगले कुछ दिनों में त्योहारों के कारण मांग बढ़ेगी। क्योंकि महाशिवरात्रि, होली व अन्य त्योहार नजदीक है हैं। ऐसे में इस सप्ताह के अंत तक बाजार में त्योहारी खरीदारी शुरू होते ही मांग बढ़ने से भी दाम बढ़ेंगे।