The king in whose special palace only the clothesless people were allowed to enter: देश-दुनिया में राजे-महाराजे की सनक और रंगीनमिजाजी के किस्से भरे पड़े हैं. हमारे यहां भी विलासिता-पसंद ऐसे शासक रहे हैं जो खास अय्याश भी रहे. मिसाल के तौर पर एक नाम है पटियाला रियासत के महाराज का. भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh) पर उनके दीवान जरमनी दास (Jarmani Dass) ने एक किताब लिखी. महाराजा (Maharaja) नाम की इस किताब में उनकी रंगीनमिजाजी और सनक दोनों का ही खुला जिक्र है.
मुगलों की स्त्रियां रहती थी हरम में
मुगल अपनी पत्नियों को, रिश्तेदारों को और बहन बेटियों को हरम में रखते थे। वहां पर उनके सेवा करने के लिए हज़ारों की संख्या में दासियां रखी जाती थी। ये दासियां हर तरह से शाही खानदान का खयाल रखती थी, और किसी भी बात के लिए कभी भी मना नहीं कर सकतीं थीं।
इनमें से कुछ दासियां महल में खाना बनाने का काम करती थी तो कुछ दासियां साफ सफाई का काम। राजकुमारियों और रानियों को सजाने और तैयार करने के लिए भी दासियों की एक पुरी फौज रहती थी।
भरतपुर के महाराज किशन सिंह-
भरतपुर के महाराजा किशन सिंह अपने विचित्र शौकों के लिए भी जाने जाते थे. उन्होंने एक या दो से शादी नहीं की बल्कि उनकी 40 संगिनियां थीं. उनके शाही शौकों के बारे में सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे…
महाराजा किशन सिंह ने गुलाबी संगमरमर वाली एक झील बनावायी और उसमें उतरने के लिए चंदन की लकड़ियों वाली सीढ़ियां बनवाई. चंदन की 20 छड़ियां इस तरह से रखी गई थीं कि दो राजा एक छड़ी पर आराम से खड़े हो सकें. उनके स्वागत में उनकी पत्नियां निर्वस्त्र सीढ़ियों पर खड़ी रहती थीं.सभी रानियां अपने हाथों में एक मोमबत्ती लिए रहती थीं. इसके अलावा प्रकाश के सभी स्त्रोत बंद कर दिए जाते थे. अपने हाथों में मोबत्तियां लेकर ये रानियां नृत्य करती थीं. जिसकी मोमबत्ती सबसे अंत तक जलती रहती थी, उसे राजा के साथ समय रात्रि बिताने का मौका मिलता था.
इन दासियों को कई बार राजाओं को भी खुश करना पड़ता था। मुगल शासन के समय राजा या राजा के परिवार का कोई भी व्यक्ति जिस भी दासी से सम्बंध स्थापित करना चाहे उससे कर लेता था। दासियां उसे ऐसा करने से रोक भी नहीं पाती थी। कई बार राजा एक साथ कई दासियों के साथ सम्बंध स्थापित करते थे और इन दासियों को हर तरह की आज्ञा को पालन करने की हिदायत दी जाती थी।
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