Know why Facebook was called a ‘monster’, now regretting Neeraj Arora, who got WhatsApp deal with FB: माइक्रो ब्लॉगिंग साइट यानी Twitter का बिकना पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा में है. इन चर्चाओं के बीच इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp के पूर्व चीफ बिजनेस ऑफिसर Neeraj Arora ने वॉट्सऐप के बिकने पर दुख जताया है. साल 2014 में Facebook (जो अब Meta हो गया है) ने 22 अरब डॉलर में वॉट्सऐप को खरीदा था.
नीरज अरोरा ने उस वक्त वॉट्सऐप खरीदने में Mark Zuckerberg की मदद की थी. उन्होंने कहा है कि अब उन्हें इस बात का अफसोस है. Facebook ने मल्टी डॉलर डील में वॉट्सऐप को जब खरीदा था, उस वक्त ऐप को लॉन्च हुए महज 5 साल हुए थे. जबकि अरोरा तीन साल से कंपनी से जुड़े हुए थे
Facebook ने क्या वादे किए थे?
अरोरा की मानें तो साल 2014 में हुई डील के वक्त फेसबुक का ऑफर पार्टनरशिप की तरह लगा था. मार्क की कंपनी यानी फेसबुक ने WhatsApp को खरीदने के लिए ऐसे वादे किए थे.
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का फुल सपोर्ट
कोई ऐड नहीं
प्रोडक्ट पर स्वतंत्र फैसले लेना
Jan Koum (वॉट्सऐप को-फाउंडर और फॉर्मर सीईओ) के लिए बोर्ड सीट
माउंटेन व्यू ऑफिस
टेक ईकोसिस्टम के इवॉल्व होने के लिए इसको लेकर बात करने की जरूरत है कि कैसे खराब बिजनस मॉडल अच्छे-अच्छे प्रोडक्ट, सर्विस और आइडिया को गलत बना देते हैं। अरोड़ा ने ट्विटर थ्रेड को हलो ऐप (HalloApp) को लेकर द वॉलस्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट का लिंक शेयर करते हुए समाप्त किया। अरोड़ा ने माइकल डोनोह्यू के साथ मिलकर पिछले साल हलो ऐप लॉन्च किया। माइकल डोनोह्यू 2019 तक व्हाट्सएप के इंजीनियरिंग निदेशक थे।
अंतरराष्ट्रीय कम्युनिकेशन। मेरे जैसे लोगों के लिए, जिनके परिवार अलग-अलग देशों में हैं, व्हाट्सएप उनसे जुड़े रहने का एक शानदार तरीका था। वहीं उन्हें लंबी दूरी के लिए SMS और कॉलिंग फीस भी नहीं देनी पड़ती थी। व्हाट्सएप ने ऐप डाउनलोड करने के लिए सिर्फ 1 डॉलर लेकर कमाई की और फेसबुक ने कहा कि उसने हमारे मिशन और विजन को सपोर्ट किया है
किसी यूजर का डेटा नहीं इकट्ठा किया जाएगा, कभी कोई विज्ञापन नहीं दिखाया जाएगा, क्रॉस-प्लेटफॉर्म ट्रैकिंग नहीं होगी। फेसबुक और उसका मैनेजमेंट इन शर्तों पर तैयार हो गया और उन्हें लगा कि वह उनके मिशन में भरोसा करते हैं, मगर ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। 2014 में फेसबुक ने 22 अरब डॉलर (कैश और स्टॉक) में वाट्सऐप का अधिग्रहण किया, लेकिन 2017-2018 तक चीजें काफी अलग दिखने लगीं
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